Description
प्रस्तुत पुस्तक में वैदिक सनातन जीवन पद्धति के प्रमुख आयामों के परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक विवेचना की गयी है। सनातन जीवन पद्धति में मुख्यतः सनातन के मूल, योग, यज्ञ एवम् संस्कार विधियों पर यह पुस्तक केन्द्रित है। सनातन में निहित विज्ञान, मनोविज्ञान और सामाजिक विज्ञान की दृष्टि से पुस्तक का लेखन किया गया है। विगत 60-70 वर्षों में बाह्य सभ्यता के प्रभावों से हमारे स्थापित सामाजिक मूल्यों का क्षरण बहुत तेजी से हुआ। आधुनिक भारतीय समाज अपनी सनातन जीवन पद्धति से दूर हो गया है और विभिन्न कुसंगतियों ने भारतीय सामाजिक व्यवस्थाओं पर अपना प्रभाव डाला है। हम नई पीढ़ी को किसी भी स्तर पर अपने सनातन जीवन पद्धति के ज्ञान-विज्ञान से परिचित नहीं करा रहे हैं, परिणामस्वरूप हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति और संस्कारों से दूर होती जा रही है। इसलिए इस पुस्तक में अपने सनातन जीवन पद्धति में दिये गये ज्ञान को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर वैज्ञानिक आधार प्रदान करने का प्रयास किया गया है। जब तक मानव भौतिक संसार के ज्ञान के साथ आध्यात्मिक ज्ञान की यात्रा नहीं करेगा, तब तक वह जीवन में सफल नहीं होगा। यह शक्ति केवल सनातन जीवन पद्धति में ही निहित है।
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