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समकालीन कविता का विचार दर्शन

665.00 Incl. VAT

  • Author: Dr. Divya Pandey
  • Binding: Hardbound
  • Edition: 2020
  • ISBN: 978-81-949264-2-9
  • Language: Hindi

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SKU: 978-81-949264-2-9 Categories: ,

Description

समकालीन कविता धारा सुदीर्घ एवं सार्थक कविता परंपरा है। आधुनिक युग की सबसे बड़ी कालावधि की स्वामिनी होने का गौरव इसे प्राप्त है। इतना ही नहीं, समकालीन कविता किसी एक के वर्चश्व से सर्वथा मुक्त है शिविर, खेमागुट और वाद से से दूर यह कविता बहुत कुछ अपने स्वतन्त्र व्यक्तित्व को रेखांकित करती है। यद्यपि विद्वान् समीक्षाको ने अपने अपने आधारों एवं पक्षकारताओं से सीमा रेखा खींचने का प्रयास किया है।

यथार्थ समकालीन कविता का आधार है। काल की चिंता उसे समसामयिकता से जोड़ती है। मूल्यबोध उसे जीवन की विसंगतियों के बीच संघर्ष की प्रक्रिया से सम्बद्ध करता है। समकालीनबोध और मूल्य बोध का सम्बन्ध यथार्थता की पहचान से है। समकालीन कविता दुःख से भागती नहीं,उससे संघर्ष करती है , साधारण जीवन के सच का उद्घाटन करती है स्त्री विमर्श के प्रश्नो को गंभीरता से उठती है तथा दलित जीवन के त्रासदी को पुरजोर व्यक्त करती है। कवि सामाजिक जीवन एवं व्यक्तिगत जीवन से टकराता है जिसमे मुख्य हथियार उसका विचार दर्शन है।

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