Description
इस पुस्तक की रचना भागलपुर के प्रेमचंद कालीन कथाकार, उपन्यासकार, नाटककार और प्रखर पत्रकार स्व.तारकेश्वर प्रसाद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए 30, 40 और 50 के दशकों में बिहार और खासकर बिहार के सबसे पुराने एवम प्रसिद्ध शहर भागलपुर की साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को रेखांकित करते हुए बहुत से छुए-अनछुए पहलुओं को पाठकों के सामने लाने का प्रयास है।
भागलपुर, जिसे अंग प्रदेश कहा जाता है, ये महाभारत कालीन कर्ण का प्रदेश है। दुर्योधन ने इसी अंग देश का राजमुकुट कर्ण को पहनाया था और दानशीलता के लिए प्रसिद्ध कर्ण ने इस अंग देश की प्रसिद्धि पूरे भारतवर्ष में फैलाई थी। आजादी के पूर्व और आजादी के बाद भी ये भागलपुर राष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।
तारकेश्वर प्रसाद का जन्म इस भूमि पर 1913 की 13 जनवरी को हुआ था और वे 14 वर्ष की अवस्था से साहित्य-सृजन से जुड़ गए थे। साहित्य -सृजन के साथ ही देश की आजादी की लड़ाई में भी इनकी सक्रिय भागीदारी रही।
भागलपुर से ‘बीसवीं सदी’ पत्रिका का प्रकाशन इन्होंने 1938 ईस्वी में किया था जो उस जमाने मे राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका रही थी। खुद ये उस समय की चोटी की पत्रिकाओं में कहानी और लेख लिखा करते थे जिनसे प्राप्त पारिश्रमिक से ही जीवन-यापन चलता था। अंग्रेजी सरकार की नौकरी इन्होंने ठुकरा दी थी।
इस पुस्तक में 1930 से 1960 तक की भागलपुर की साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों को ही केंद्र में रखते हुए तारकेश्वर प्रसाद की उपलब्धियों को सामने लाना लेखक का उद्देश्य रहा है।
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