Description
लोकगीत लोक जीवन के परंपरागत विरासत है, जिसमें सामान्य जन-जीवन के माधुर्य , सुख-दुख ,हर्ष- विषाद तथा हमारी संस्कृति की एक सौंदर्यात्मक छवि भी अंकित है। यह आम जनों के कंठ से स्वत स्फूर्त भावात्मक अभिव्यक्ति है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संचरण करते हुए आगे बढ़ती रहती है। इसमें निजी एवं सामाजिक अनुभव मानवीय भाव के साथ आते हैं तथा रोजमर्रा के वास्तविक जीवन के बिम्ब भी उभरकर उजागर होते हैं।
लोकगीतों का तो पूरा संसार ही संवेदना का होता है। इस संवेदना को लोक स्वर मुखरित करते हैं। ये लोक स्वर (धुनें) लोकगीतों के शैलीगत आकार देने का कार्य करती हैं। इस संगीत का क्षेत्र बहुत ही विशाल है। इनमें से कुछ लोकगीत यथा कजरी, चैती, पूर्वी, झूमर एवं होली का चयन कर उसमें निहित स्वरों के स्वरूप का अंकन कर शास्त्रीय अध्ययन किया गया है जिससे उसके संगीत वैशिष्टों की जानकारी प्राप्त हो सके।
Reviews
There are no reviews yet.